मुठभेड़ में घायल हुए बीकेआई सदस्य की पहचान गुरप्रीत उर्फ गोपी के रूप में हुई है। वह पाकिस्तानी आतंकी रिंदा के निर्देशों पर काम कर रहा था और आतंकी गतिविधियों में शामिल था।
पंजाब के मोहाली में पुलिस ने आतंकी संगठन बीकेआई के एक सदस्य को मुठभेड़ में घायल किया है। घायल आरोपी बब्बर खालसा इंटरनेशनल का प्रमुख सदस्य था। आरोपी की पहचान गुरप्रीत उर्फ गोपी के रूप में हुई है, जिसे लगभग 5 राउंड गोलीबारी के बाद गोली मार दी गई। मोहाली पुलिस ने बताया कि गुरप्रीत आपराधिक और आतंकवाद संबंधी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल था। वह पाकिस्तान स्थित आतंकवादी रिंदा के निर्देशों पर काम कर रहा था।
इससे पहले रविवार को काउंटर इंटेलिजेंस (सीआई) पटियाला और स्टेट स्पेशल ऑपरेशन सेल (एसएसओसी) मोहाली ने खुफिया सूचना के आधार पर बीकेआई के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया था। तीनों सदस्य पाकिस्तानी आतंकी हरविंदर सिंह रिंदा और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के निर्देशों पर काम कर रहे थे। अब इसी मॉड्यूल के लिए काम करने वाले एक आतंकी को मुठभेड़ में गोली लगी है।
क्या है बब्बर खालसा इंटरनेशनल ?
बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) एक खालिस्तानी उग्रवादी संगठन है, जिसकी स्थापना 1978 में हुई थी। इसका उद्देश्य भारत के पंजाब क्षेत्र में एक स्वतंत्र सिख राष्ट्र (खालिस्तान) की स्थापना करना है। भारत सरकार और कई अन्य देश, जैसे कनाडा, जर्मनी, और यूनाइटेड किंगडम, इसे आतंकवादी संगठन मानते हैं। बीकेआई 1980 के दशक में पंजाब विद्रोह के दौरान विशेष रूप से सक्रिय था, जहां इसने हथियारबंद हमलों, हत्याओं और बम विस्फोटों जैसे आतंकी कृत्यों को अंजाम दिया। इसका सबसे कुख्यात हमला 1985 में एयर इंडिया फ्लाइट 182 पर बमबारी था, जिसमें 329 लोग मारे गए थे। यह कनाडा के इतिहास में सबसे घातक आतंकी हमला था।
पाकिस्तान में छिपे बीकेआई आतंकी
1990 के दशक में भारतीय सुरक्षा बलों की कार्रवाइयों के कारण संगठन कमजोर हुआ, लेकिन यह अभी भी भूमिगत रूप से सक्रिय है। वर्तमान में इसके कुछ नेता जैसे वधावा सिंह कथित तौर पर पाकिस्तान में छिपे हैं और संगठन को पाकिस्तान की आईएसआई से समर्थन मिलने के आरोप हैं। हाल के वर्षों में, बीकेआई को लुधियाना कोर्ट ब्लास्ट (2021) और गुरदासपुर में पुलिसकर्मी के घर पर ग्रेनेड हमले (2025) जैसे हमलों से जोड़ा गया है। संगठन कनाडा, यूके, और यूरोप के कुछ देशों में भी सक्रिय है और सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी गतिविधियों को बढ़ावा देता है। भारतीय गृह मंत्रालय ने इसे आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल किया है, और यह गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम, 1967 के तहत प्रतिबंधित है।