Wednesday, July 30, 2025

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन पर रोक नहीं

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सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Summary Revision) पर आज अहम फैसला सुनाया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची के संशोधन की प्रक्रिया जारी रहेगी और इसमें कोई रोक नहीं लगेगी। कोर्ट ने कहा कि यह एक संवैधानिक संस्था — चुनाव आयोग — की जिम्मेदारी है और इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से वोटर लिस्ट संशोधन की टाइमिंग को लेकर सवाल जरूर उठाए। दरअसल, याचिकाकर्ताओं ने इस प्रक्रिया की गति और निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए थे। उनका कहना था कि यह प्रक्रिया आनन-फानन में की जा रही है, जिससे निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।

क्या है मामला?

कुछ याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह आरोप लगाया था कि बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन की प्रक्रिया को अत्यधिक तेजी से, पारदर्शिता की कमी के साथ और सीमित समय में किया जा रहा है। उनका तर्क था कि इतनी जल्दी की गई प्रक्रिया से कई वास्तविक मतदाताओं के नाम हट सकते हैं या कई अनियमितताएं हो सकती हैं, जिससे चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठेंगे।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां:

  • सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और संवैधानिक स्थिति का सम्मान करते हुए कहा:
  • “हम संविधान के तहत स्थापित संस्थाओं के कार्य में बाधा नहीं डाल सकते।”
  • हालांकि, कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह भी पूछा कि इस प्रक्रिया को अभी इसी समय में करने की क्या आवश्यकता थी? यानी चुनाव आयोग की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए अदालत ने परोक्ष रूप से यह जताया कि जनता की नजर में प्रक्रिया की निष्पक्षता बनी रहनी चाहिए।
  • कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि किसी को लगता है कि उसका नाम गलत तरीके से हटाया गया है या कोई अन्य शिकायत है, तो इसके लिए आयोग ने नियमों के तहत शिकायत करने और सुधार का विकल्प पहले से दिया हुआ है।

याचिकाकर्ताओं की दलीलें:

  • रिवीजन प्रक्रिया की अधिसूचना 20 जून को जारी की गई थी और यह 20 जुलाई तक पूरी की जानी है, जो कि सिर्फ एक महीने की अवधि है।
  • याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, इतनी छोटी समय सीमा में ग्रामीण इलाकों में जागरूकता और सही जानकारी पहुंचाना मुश्किल है।
  • उनका यह भी तर्क था कि यह प्रक्रिया राजनीतिक रूप से प्रेरित हो सकती है।

चुनाव आयोग का पक्ष:

  • आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यह प्रक्रिया नियमित अभ्यास का हिस्सा है और यह हर राज्य में समय-समय पर की जाती है।
  • यह आवश्यक है ताकि मतदाता सूची को अद्यतन रखा जा सके और आगामी चुनावों से पहले फर्जी वोटिंग पर अंकुश लगाया जा सके।
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