नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष सेमिनार में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने 1975 में लगाए गए आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघात बताया और कहा कि यह वह समय था जब अभिव्यक्ति की आज़ादी, न्यायपालिका की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतन्त्रता को कुचलने की कोशिश की गई थी।
अमित शाह ने कहा, “आपातकाल भारत के इतिहास का काला अध्याय था, जब सत्ता के मोह में संविधान को ताक पर रख दिया गया। आने वाली पीढ़ियों को इस बात की जानकारी होना जरूरी है कि लोकतंत्र की रक्षा कितने संघर्षों से हुई है।”
उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौर में विपक्ष के नेताओं को जेल में डाल दिया गया, प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई और आम नागरिकों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए। सेमिनार में मौजूद इतिहासकारों, पत्रकारों और पूर्व राजनीतिक कैदियों ने भी अपने अनुभव साझा किए।
अमित शाह ने युवाओं से आह्वान किया कि वे इस ऐतिहासिक घटना से सीख लें और लोकतंत्र की रक्षा में अपनी भूमिका निभाएं।